किसानों के लिए 24 घँटे कष्ट देने को या सुविधाएँ देने को तैयार हैं मोदी जी ? : माईकल सैनी
मोदी जी ऐसी तैयारी किन किसानों के लिए बता रहे हैं गुजराती किसानों के लिए क्या ? क्योंकि पंजाब , हरियाणा, यूपी, राजस्थान का किसान तो बॉर्डर पर बैठा है पिछले 24 दिनों से और आप वहां एक बार भी नहीं पहुँचे मगर गुजरात 1485 किलोमीटर दूर अपने गृहराज्य में किसानों के बीच पहुंचकर देश के किसानों को संदेश देते जरूर दिखाई दिए - ठीक वैसे ही जैसे गलवान घाटी से कोसों दूर जाकर आपने जवानों की होंसलाहफजाइयाँ की थी उनकी बहादुरी के कसीदे पढ़े थे ।
मोदी जी आप कहते हैं कि कृषि सुधारों की मांग वर्षो से लंबित थी जिसे विपक्षी सरकारें पूरा नहीं कर पाई , तो स्पस्ट करना चाहेंगे मोदी जी कि तभी तो आपके दल वाली भाजपा सरकार को चुनकर भेजा गया था ताकि आप परिवर्तनशील निर्णय लेकर किसानों की परेशानियों को दूर करने के लिए कोई ठोस कदम उठाएंगे , आप उनकी सलाह सहमति से कोई नीति नियम बनाएंगे , योजनाएं बनाएंगे !
आपने बनाई भी और हो सकता है कि अच्छी भी होंगी आपके मतानुसार परन्तु इसके लाभ किसानों को बताए क्यों नहीं गए ?
क्या ईन तीनों कानूनों में किसानों के परामर्शी सुझावों को शामिल किया गया - यदि नहीं तो क्यों ?
क्यों आपने किसानों के हितकारी विचारों को लेने की जरूरत महसूस नहीं की और कोई बैठक तक किसान संगठनों से करना जरूरी नहीं समझा और क्यों कड़कती ठंड में ठिठुरने पर किसानों को छोड़ दिया गया ?
क्या आप एकछत्र राज पाकर अहंकारी हो गए या आप जो करेंगे वही सर्वमान्य होगा ईस भृम में हो यदि नहीं तो बताएँ कि किसान पिछले 24 दिनों से क्यों निकला हुआ है अपने परिवारों को छोड़कर सड़कों पर ?
एक तरफ आपकी राज्य सरकार ने उनके स्वागत के लिए पानी की बौछारें , लट्ठों से पिटाई , अश्रुगैस के गोले दाग उन्हें कितनी ही बार तोपों की सलामी देकर सम्मानित किया , उनके भोजन की राशन सामग्री (रसद) लेकर आ रहे ट्रक्टरों में सुएँ मार टायर पंचर किए गए ?
दूसरी ओर केंद्र सरकार ने उन्हें पानी तक नहीं पूछा भोजन की बातें दूर बेचारे ठंड में मरने को मजबूर , रजाई गद्दे के स्थान पर गड्ढे , क़ई सारी शहादतें हो गई #बड़ी बड़ी जेसीबी मशीनों से सड़कें खोदी @क्या व्यवस्थाएँ की और किन तैयारियों का बखान कर रहे हैं बताएँ मोदी जी ?
आप कहते हैं कि विपक्ष किसानों के कंधे पर बंदूक रख चला रहा है , अपनी राजनीतिक रोटियां सेक रहा है , वह किसानों को बरगला रहा है ,केंद्र सरकार समझोता करने को तैयार है मगर विपक्ष उन्हें राजी नहीं होने दे रहा है यही सब ना ? इसका अर्थ यह हुआ कि आपके सत्ताधारी होने के उपरांत भी विपक्ष आपके ऊपर हावी हो रहा है मगर आपने क्या किया आंदोलन में षड़यन्त्रकारीयों के शामिल होने के आरोप लगाए , देश के अन्नदाता को खालिस्तानियों से जोड़ा और हद तो तब हो गई जब माओवादियों के भी शामिल होने की मनघड़ंत बातों को उठा किसान आंदोलन को कुचलने की कोशिशें की गई - कभी सर्जिल ईमाम, तो कभी उमर खालिद, तो कभी टुकड़े टुकड़े गैंग के नाम पर बदनाम करने का प्रयास किया गया क्यों ?
आपने कुछ चुनिंदा जमीदारों को अपने पक्ष में लेकर गरीब किसानों के संगठनों में फूट डालने का काम किया बताएँ क्यों देश के मीडिया ने किसानो के खिलाफ रिपोर्टिग की ?
अब आप बताएं कि आपने सर्वदलीय बैठक में किसान संगठनों को बैठाकर मसले को हल करने का कोई प्रयास क्यों नहीं किया ?
आपके आरोप माने कि किसानों को विपक्ष बरगला रहा है तो स्वम् आपको भी बताना होगा देश को कि आपने यह तीनों कृषिकानून किनकी सलाह और दबाव में बनाएँ हैं जिन्हें आप देशभर के किसानों के क़ई माह के विरोध के बावजूद समाप्त नहीं कर रहे हैं ?
ऐसी क्या जरूरत आन पड़ी थी कि लोकडाउन के दौरान ही आपने मुखर विरोध के बावजूद बगैर चर्चा के ही सदन में तीनों कानून पास करा लिए और अगले ही दिन माननीय राष्ट्रपति जी के भी हस्ताक्षर करा देशभर के किसानों पर यह कानून लाद दिए ?
तरविंदर सैनी ( माईकल ) सैनी पूछता है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी आप देश के किसानों को आश्वश्त कब करेंगें ईन तीनों कानूनों को निरस्त करने के बारे में और कितने दिन लेंगे - क्या यह अवधि 365 दिन की रहेगी आखिर आपकी 24 घँटे तैयारी करने का लाभ क्या होगा देश को ?
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